कभी एक पल के लिए ठहर ज़रा "मौत" के बारे में सोच,
और खींच मत अपना ही "अंत" अपने दोनों हाथों से अपनी ही ओर,
बन कठोर इतना की हो नहीं लालच की तुझ में ज़रा भी लोच....!!
कभी एक पल के लिए ठहर ज़रा "मौत" के बारे में सोच,
अब भूल भी जा अपना अभिमान, क्रोध, अहम,
ख़ुद को विनम्र बना इतना की किसी को लगे नहीं तुझ से कोई खरोंच....!!
कभी एक पल के लिए ठहर ज़रा "मौत" के बारे में सोच,
मन से दे सबको स्नहे अपना और दूसरों के लिए उँड़ेल सदा हास-विहास,
फिर न कभी तुझ को लगेगा जीवन यह अरोच....!!
रिक्त नहीं रहेगा फिर कभी तेरा मन
प्रसन्न रहेगा तू हमेशा, हर क्षण, जीवन भर.........मोहनिश...!
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