विरान शहर....
विरान है घर....
है विरान अब........ हर मंजर.......
हर तरफ..... अँधेरा...
हर ओर है फैला
सिर्फ...ज़हर.....ही ज़हर
टूट रहा है शामों-सहर
बस कहर..और...कहर.....
अब कैसे हो इस दुनिया में,
बिना डरे....गुज़र.....बसर.....
दिखता नहीं कहीं भी..
दूर-दूर तक कोई भी दर....
जहाँ रखकर सर.....
बयां करें अपना ये डर.......
विरान शहर....
विरान है घर....
है विरान अब........ हर मंजर............मोहनिश......!!
विरान है घर....
है विरान अब........ हर मंजर.......
हर तरफ..... अँधेरा...
हर ओर है फैला
सिर्फ...ज़हर.....ही ज़हर
टूट रहा है शामों-सहर
बस कहर..और...कहर.....
अब कैसे हो इस दुनिया में,
बिना डरे....गुज़र.....बसर.....
दिखता नहीं कहीं भी..
दूर-दूर तक कोई भी दर....
जहाँ रखकर सर.....
बयां करें अपना ये डर.......
विरान शहर....
विरान है घर....
है विरान अब........ हर मंजर............मोहनिश......!!
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