Saturday, June 23, 2012

विरान शहर

विरान शहर....
विरान है घर....

है विरान अब........ हर मंजर.......

हर तरफ..... अँधेरा...

हर ओर है फैला
सिर्फ...ज़हर.....ही ज़हर

टूट रहा है शामों-सहर
बस कहर..और...कहर.....

अब कैसे हो इस  दुनिया में,
बिना डरे....गुज़र.....बसर.....


दिखता नहीं कहीं भी..
दूर-दूर तक कोई भी दर....

जहाँ रखकर सर.....
बयां करें अपना ये डर.......


विरान शहर....
विरान है घर....

है विरान अब........ हर मंजर............मोहनिश......!!

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