Saturday, May 26, 2012

रेशम में लिपटी जिंदगी

जिंदगी हर बार कैद ही रही,
फिर भी कभी रुकी नहीं, कहीं थमी नहीं......

रेशम में लिपटी हुई,
डाल के सहारे लटकती रही.....

जिससे दामन दुनिया अपना,
हर बार झटकती रही........

फिर आई बरी उसकी,
अब आया समय बदल जाने का,

फूलों सा खिल कर,
वन-वन मंडराने का.........!!!!

No comments:

Post a Comment