रेशम में लिपटी जिंदगी
जिंदगी हर बार कैद ही रही,
फिर भी कभी रुकी नहीं, कहीं थमी नहीं......
रेशम में लिपटी हुई,
डाल के सहारे लटकती रही.....
जिससे दामन दुनिया अपना,
हर बार झटकती रही........
फिर आई बरी उसकी,
अब आया समय बदल जाने का,
फूलों सा खिल कर,
वन-वन मंडराने का.........!!!!
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