Wednesday, October 31, 2012

एक मुस्कराहट

हँसी थम जाती है 
पर कभी ख़त्म नहीं होती
ये झरती है 
और कलकल करती हुई 
रिसती है दिमाग़ में
हँसी की शुरुवात 
एक मुस्कराहट से होती है
वही मुस्कराहट 
आगे जाकर मन को 
आनंदित करती है
और जब मन इस उन्माद 
इस आनंद को झेल नहीं पता
तब कही जाकर 
हम बड़ा सा मुँह खोलकर
दाँत दिखाते हुए
ठाहके लागाते हुए 
हँसते है ..........!! 
  

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