Thursday, September 6, 2012

मुझे भरोसा है

मुझे भरोसा है कि आज भी दुनिया
ख़ूबसूरत है.....

और कविता रोटी की तरह सबकी

ज़रूरत है......!!

एक कविता पढकर, किसी का खून
उबाल खाता है....

तो कोई मोम बनकर पिघल

भी जाता है......!!

कभी ये कविता क्रांति तक

ला देती है....

कभी ये हर शोर मिटा कर,

शांति फैला देती है......!!

माना इसमें नदिओं सा

वेग नहीं है....

पर ये कागज की छाती पर लिखा,

केवल एक लेख नहीं है.......!!

इसकी सीमा अंतरिक्ष से भी

अनंत है.....

ये प्रेम, शांति, अहिंसा,

और सत्यता का ग्रन्थ है........मोहनिश.....!


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